अप्रैल 2016 तक इस मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था और केवल पुरुष ही शिवलिंग के दर्शन कर सकते थे। लेकिन सामाजिक संगठन भूमाता रंणरागिनी ब्रिगेड के प्रयासों के चलते बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद इसमें पुरुषों के प्रवेश को भी वर्जित कर दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि परंपरा भी न टूटे और समस्या का समाधान भी हो जाए।