देवी भगवती के किशोर स्वरूप को समर्पित यह मंदिर देश के दक्षिणतम छोर पर स्थित है। यह शक्तिपीठों में से एक है। देवी भगवती के इस स्वरूप को संन्यास की देवी के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि इस मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषों का प्रवेश सख्त वर्जित है।