उदयपुर। एक बार फिर आईपीएस दिनेश एमएन चर्चा में आ गए हैं। आखिर उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के आईजी पद से क्यों हटाया गया? भ्रष्टाचार में पकड़े जाने के मामलों से क्या सरकार डर गई? क्या आरएएस की लॉबी से सरकार की फट गई ? या वास्तव में सरकार एक-एक कर चार आईएएस को एसीबी के घेरे में लाने से सरकार परेशान थी?
असल में राज्य सरकार ने आईपीएस दिनेश एमएन को जून 2015 में एसीबी में आईजी के रूप में तैनात किया था। इसके बाद से लगातार एक-एक कर एसीबी ने चार आईएएस अफसरों को भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़कर जेल की हवा खिला दी। सबसे पहले जब विधानसभा सत्र चल रहा था, उसी दौरान एमएन के नेतृत्व में खान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अशोक सिंघवी सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद दिनेश खासे चर्चा में आ गए थे। यह भी चर्चा चली थी कि दिनेश एमएन को पीएमओ से निर्देश मिले, उसके बाद ही यह कार्रवाई की गई। हालांकि इसकी सूचना मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी थी, जिन्होंने एसीबी को सिंघवी पर कार्रवाई करने की अनुमति दी थी।
सिंघवी के साथ-साथ अन्य अलग-अलग मामलों में रिटायर्ड आईएएस जी.एस. संधू , आईएएस एलसी असवाल और आईएएस नीरज के. पवन को पकड़ा गया। इसके बाद लगातार एसीबी ने 100 से अधिक कार्रवाई राज्य में कर रिकॉर्ड बनाया है।