थ्योरी में फेल पे्रक्टिकल में 60 में से 60 नंबर न्यू लुक स्कूल का एक और फर्जीवाडा उजागर

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न्यू लुक में नकल का धंधा जोरों पर!

शरद पंड्या की रिपोर्ट

बांसवाड़ा। अंदर की खबर समाचार पत्र द्वारा जब न्यू लुक की धांधलियों को लेकर समाचार प्रकाशित किया तो अभिभावकों सहित सूधी पाठकों ने बहुत सराहा और न्यू लुक स्कूल द्वारा अन्य कई गडबडियां करने का मामला अंदर की खबर को बताया तो अंदर की खबर टीम को विश्वास नहीं हुआ कि शिक्षा के जैसे पवित्र पुनित कार्य में भी लोग फर्जीवाड़ा करने में भी चुक नहीं रहे हैं।
पाठकों को पढकर विश्वास नहीं होगा लेकिन यह 100 फीसदी सच है। इस फर्जीवाड़े का सच पढिए न्यु लुक स्कूल के (ष्टद्यड्डह्यह्य ङ्गढ्ढढ्ढ) यानि बारहवीं क्लास का रिजल्ट 2016 में आया जो सीबीएसई द्वारा जारी किया गया। इस रिजल्ट के अनुरूप यहां हम छात्र का प्रकाशित नहीं कर रहे हैं। सबूत के तौर पर रोल नंबर के साथ अंकों का खेल देखिए। रोल नंबर 1620163 जो कि कॉमर्स का विद्यार्थी है। जिसकी मार्कशीट में पेंटिंग विषय की थ्योरी में 40 में से 11 नंबर आएं हैं इसी छात्र के प्रेक्टिकल में 60 में से 57 नंबर आएं हैं। इसी तरह इसी छात्र के बिजनेस स्टडी विषय में 80 में से 11 नंबर मात्र हैं। जबकि प्रेक्टिकल में उसे 20 में से 19 नंबर मिले हैं। इसी तरह एकाउंटेंसी की थ्योरी में 80 में से 4 नंबर मिले हैं। जबकि प्रेक्टिकल में से 20 में से 14 नंबर मिले हैं। है ना गजब का फर्जीवाड़ा…जो साफ-साफ नजर आ रहा है।
इस पूरे खेल को अब हम समझाते हैं कि ये खेल क्या है। थ्योरी के एक्जाम जिस स्कूल का छात्र होता है उस स्कूल का परिक्षा केंद्र अन्य कोई स्कूल होता है यानि कि न्यू लुक के थ्योरी एक्जाम केंद्रीय विद्यालय में होते हैं। जहां सेटिंग यानि की नकल की गुंजाईश कम होती है। इस लिए छात्रों के थ्योरी में नंबर कम आते हैं। प्रेक्टिकल जिस स्कूल का छात्र होता है उसी स्कूल में प्रक्टिकल होते हैं। मतलब न्यू लूक स्कूल के प्रेक्टिकल न्यू लुक स्कूल में ही होते हैं। हां यहां एक बात जरूर है। परीक्षा लेने वाला अध्यापक (एक्सट्रनल) बाहर से जरूर आता है। परंतु जब छात्रों के थ्योरी में पासिंग मार्क भी नहीं आ रहे हैं और प्रेक्टिकल में 60 में से 55-60 नंबर आने का मतलब परीक्षा लेने वाला अध्यापक न्यु लुक स्कूल से सेट हो जाता है। इसका प्रमाण है प्रेक्टिकल में 60 में से 60 नंबर आना।
इस फर्जीवाडे के हमारे पास कई सबूत हैं। एक और सबूत देखिए कॉमर्स के स्टूडेंट 12वीं क्लास का है। हम यहां पर छात्रों के पिता और माता का नाम इस प्रकाशित नहीं कर रहे हैं क्योंकि स्कूल के इस गंदे खेल में माता पिता की बदनामी क्यों हो जबकि हमारे पास माता पिता के नाम भी इस मार्कशीट में मौजूद हैं। इसी तरह एक और 12वीं क्लास के विद्यार्थी के मार्कशीट के नंबरों पर नजर डालते हैं, जिसका रोल नंबर 1620196 है। इस छात्र के पेटिंग विषय की थ्योरी में 40 में से 16 नंबर हैं। यानि की 50 प्रतिशत नंबर भी नहीं है और प्रेक्टिकल में 60 में से 60 नंबर हैं। मतलब 100 प्रतिशत नंबर है।
यह नंबर देखकर कोई अनपढ भी कह दे गा कि पूरी तरह नकल का खेल जोरों पर है।
प्रेक्टिकल और थ्योरी के नंबरों में विरोधाभाष इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि स्कूल में नकल धडल्ले से कराई जाती है। इसके पीछे न्यु लुक की मंशा यह होती है कि स्कूल का परीक्षा परिणाम अच्छा रहे ताकि अधिक से अधिक छात्र इस स्कूल में प्रवेश लेकर स्कूल का प्रबंधन मोटी फीस वसूल कर अभिभावकों का खून चूस सके। अंदर की खबर समाचार पत्र जिन-जिन बच्चों की मार्कशीट प्रकाशित कर रहा है। अंदर की खबर समाचार पत्र न्यू लुक प्रबंधन को चेतावनी देता है कि उन बच्चों से
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पुन: दूसरी स्कूल में प्रशासन की मौजूदगी में इन बच्चों का पुन: प्रेक्टिकल करवाए। तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। न्यू लुक के विरूद्ध अंदर की खबर समाचार पत्र के द्वारा प्रमाणों के साथ प्रकाशित की गई खबर की जांच जिला प्रशासन द्वारा कराई जा रही है। उसी जांच में इस विषय को भी शामिल किए जाने से न्यु लुक में हो रही गड़बडियों का खुलासा हो पाएगा।

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